संतोष साहू,
मुम्बई। रविवार 1 मई की सुबह और यादगार बन गई जब महानगर में एक ही स्टेज पर मिले दो अनमोल और अद्भुत सितारे उस्ताद अमजद अली खान और गुलजार। भारत के लीजेंड सरोद वादक और पद्म विभूषण उस्ताद अमजद अली खान का रविवार, 1 मई के दिन मुंबई के रॉयल ओपेरा हाउस में ‘मॉर्निंग रागा’ कॉन्सर्ट संपन्न हुआ। दुनिया भर को अपनी सरोद साधना में सराबोर करने वाले मशहूर कलाकार उस्ताद अमजद अली खान ने कोरोना काल के बाद मुंबई में ‘मॉर्निंग रागा’ कॉन्सर्ट में अपनी अद्भुत सरोद कला का प्रदर्शन किया। उस्ताद से मिलने और इस कॉन्सर्ट में सरोद घर से जुड़ी अपनी यादें बांटने आए, उनके बहुत ही खास और ऑस्कर विजेता जिन्होंने पूरे जहां में अपने कलम का जादू बिखेरा, गीतकार और निर्देशक गुलजार। जब ये दोनों एक स्टेज पर मिले मानों वो लम्हा सबसे खूबसूरत पल बन गया।
आपको बता दे कि रॉयल ओपेरा हाउस में किया गया उस्ताद अमजद अली खान का कॉन्सर्ट उनके ग्वालियर स्थित सरोद घर की विरासत की संगीतमय म्यूजियम के रख रखाव के लिए उठाई गई एक नेक कोशिश है। सरोद घर जो ग्वालियर में स्थित हैं, जहां उनके वालिद और फिर अमजद अली खान का जन्म हुआ। एक ऐसा घर, जिसमे उनके पिता ने उन्हें क्लासिकल संगीत की तालीम दी जिसके वो धनी थे, जो खुद एक प्रख्यात सरोद वादक थे और यही विरासत उन्होंने अपने बेटे अमजद अली खान को दी।
इस सरोद घर में उनके विरासत की ऐसी नायब चीज जो उन्होंने इस कॉन्सर्ट में दिखाई, ऐसे तमाम डॉक्यूमेंटेशन हैं जो प्राचीन समय से इक्कठा की गई, ऐसे तमाम लीजेंड की तस्वीरें हैं जो मॉर्निंग रागा कॉन्सर्ट के दरम्यान भी दिखाई गई। मॉर्निंग रागा कॉन्सर्ट में गुलजार आए जिन्होंने संगीतमय विरासत की धरोहर सरोद घर के बारे में अपने अनुभव व्यक्त किए। जिन्होंने उस्ताद के बारे में नायब शब्द बोले और फिर इस कॉन्सर्ट की शुरुआत हुई। इसके पहले गुलजार, अमजद अली खान और सरोद घर पर 1 घंटे की डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बना चुके हैं।
मॉर्निंग रागा कॉन्सर्ट का उद्देश्य, ग्वालियर स्थित सरोद घर यानी की म्यूजिकल हेरिटेज म्यूजियम के रख रखाव के लिये की गई हैं। मॉर्निंग रागा में खास मेहमान बनकर आए गुलजार, इसके अलावा अमजद अली खान की धर्मपत्नी शुभलक्ष्मी खान, बेटे अयान अली बंगश, उनकी पत्नी नीमा, दोनों पोते अबीर और जोहान अली बंगश, सिंगर रूपकुमार राठौड़, रीवा राठौड़, श्वेता बासु प्रसाद और रोमेश शर्मा मौजूद थे। इस कॉन्सर्ट का ये भी एक ध्येय था कि आने वाली युवा पीढ़ी में क्लासिकल संगीत का जोश भरा जाए और उन्हें इस संगीत की ट्रेनिंग के लिए जागरूक कराया जाए।