संतोष साहू,
मुम्बई। डॉ. जमाल ए खान ने कहा कि कैंसर से भयभीत होने की जरुरत नहीं। रामपुर, यूपी के ओपल होटल में आयोजित नीमा कैंसर सेमिनार में देश भर से 200 से ज्यादा डॉक्टर पहुंचे। सेमिनार में डॉ. जी एस चड्डा, डॉ. वी वी शर्मा, डॉ. अब्दुल सलाम की उपस्थिति रही।
जहां डॉक्टरों को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डॉ. जमाल ए खान (एमबीबीएस, एमडी, वर्ल्ड कैंसर इम्यूनोथेरेपी स्पेशलिस्ट) ने बताया कि समय पर हमें मालूम पड़ जाये तो कैंसर का इलाज भी उसी तरह संभव है जैसे आम बीमारी का इलाज होता है। हम इसका समय पर सही डॉक्टर के पास पहुंचकर इलाज शुरू करवा दें। मुझे बड़ा दुःख होता है कि मरीज के लाखों रुपए तो उनके टेस्ट पर ही खर्च हो जाते हैं और उनका इलाज शुरू भी नहीं हो पाता। मरीज को कैंसर के बारे में पता चलने पर फौरन अपना इलाज शुरू करवा देना चाहिए। मेरे पास ऐसे बहुत मरीज आते हैं। हमारे इलाज में पीड़ा नाम की कोई चीज ही नहीं है।
इम्यूनोथेरेपी जो मूल रूप से सेल्फ बेस्ड इम्यूनोथेरेपी है जिसे हम एक्टिव इम्यूनोथेरेपी बोलते हैं जो शरीर के अंदर कैंसर की पहचान के लिए व्हाइट सेल काम नहीं कर रहे हैं, उसे लैबोरेटरी में लेकर कल्चर करते हैं और उन्हें कैंसर से लड़ने वाले सेल बनाते हैं। जिनको डेन्ड्राइट सेल बोलते हैं। जो वापस जाकर बॉडी में कैंसर को ढूंढते हैं।
ये प्रोटोकाल साइंटिफिक है जिसको नोबल प्राइज बहुत पहले मिल चुका है और हमारे जो गुरु हैं जिनको हम मानते हैं, इम्यूनोथेरेपी में वो कनाडा के नागरिक हैं और अमेरिका में काम करते थे। उन्हें इसी प्रोटोकाल की डिस्कवरी पर नोबल पुरस्कार मिला है। लेकिन ये आम प्रचलित नहीं है क्योंकि ये कस्टमाइज थेरेपी है। इसे मरीज के अपने रक्त से ही उसके लिए बनाया जाता है। तो ये फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री नहीं कस्टमाइज प्रोडक्ट है। यह डेन्ड्राइट सेल थैरेपी है।
डॉ. जमाल ए खान ने आगे कहा कि हमारे डेनवैक्स क्लिनिक के अन्दर सारी सुविधाएँ हैं। जो मरीज भर्ती होते हैं, हमारी डॉक्टर की टीम दिल्ली में पूरी देखभाल करती है और तुरंत इलाज शुरू हो जाता है। हमारे द्वारा कैंसर के हज़ारों मरीज ठीक होकर आम जीवन जी रहे हैं।