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May 2, 2024
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उत्तर प्रदेश चुनावी किलकिल

बाहुबली विधायक विजय मिश्रा जेल से ही चुनावी अखाड़े में ज्ञानपुर विधानसभा क्षेत्र से पहलवान: सत्ता के खिलाफ शंकनाद ने संकट में डाला, राजनीति में सियासी रसूख रखने वाले बाहुबली विजय मिश्र लगातार 20 वर्षों से विधायक.

पंकज पाराशर छतरपुर
उत्तर प्रदेश में सत्ता किसी कि हो लेकिन भदोही जिले की सियासत में विजय मिश्र का डंका बजता रहा l पूर्वांचल के साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी रसूख रखने वाले बाहुबली विजय मिश्र अपनी अलग पहचान रखते हैं। राजनीति में उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्थितियां उनके प्रतिकूल रही हूं या अनुकूल। उन्होंने अपनी पहचान की परिभाषा और मंजिल खुद तय की। यूपी में चाहे किसी दल की सत्ता रही हो, लेकिन भदोही में सरकार विजय मिश्र की चलती थी लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार में ऐसा नहीं हुआ। अपराधियों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति ने उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया। सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने का विपक्ष आरोप भी लगाता है। विजय मिश्र सत्ता और सरकारों से भी पंगा लेने में नहीं हिचके। बसपा सुप्रीमों मायावती, अखिलेश यादव या फिर योगी आदित्यनाथ जैसे अड़ियल मुख्यमंत्री के सामने भी समझौतावादी राजनीति से उन्होंने परहेज किया। हालांकि इसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ा।

बाहुबली विधायक विजय मिश्र सिर्फ अपनी सुनते थे। जिस पेड़ की घनी छांव में वह चैन की नींद लिया वक्त आने पर उसके खिलाफ भी खड़े हो लिए। सत्ता को भी आँख दिखाने में उन्होंने कभी गुरेज नहीं किया जिसका खामियाजा उन्हें जेल की सालाखों में रह कर गुजारना पड़ रहा है। देश की सर्वोच्च अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद उनकी सियासी मुश्किल बढ़ गई हैं। हालांकि मायावती शासन काल में वह जेल में रहकर भी चुनाव जीत गए थे। भदोही जिले की ज्ञानपुर विधानसभा से अब तक वह लगातार चार बार विधायक रह चुके हैं। अब पांचवीं बार जेल से चुनाव लड़ रहे हैं। ज्ञानपुर विधानसभा में विजय मिश्र की सियासी जमीन इतनी मजबूत है कि विरोधी दल के उम्मीदवार उनके सामने खड़े होने में हिचकते हैं। कोई बड़ा सियासी चेहरा इस सीट से लड़ना नहीं चाहता है। उनकी सियासी दबंगई का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि चुनावों में इस सीट पर कब्ज़ा जमाने के लिए अमितशाह, मुख्यमंत्री योगी, अखिलेश यादव और मायावती जैसे लोग विजय मिश्र का नाम लिए बगैर उन पर सियासी हमला कर चुके हैं लेकिन उनकी सियासी जमीन कहीं से भी कमजोर होती नहीं दिखी l

बाहुबली विधायक विजय मिश्र 2022 का आम चुनाव जेल से बाहर रहकर लड़ना चाहते थे, लेकिन आपराधिक पृष्ठभूमि होने के चलते उच्चतम न्यायालय से उन्हें जमानत नहीं मिली। जिसकी वजह से उनके समर्थकों और चाहने वालों में बेहद मायूसी है। ज्ञानपुर विधानसभा ब्राम्हण बाहुल्य इलाका है। वह ब्राह्मणों के सियासी मसीहा माने जाते हैं। हालांकि उन पर कई ब्राह्मणों की हत्या का भी आरोप लगा। जिसमें पूर्व सांसद पंडित गोरखनाथ पांडेय के भाई की भी हत्या का शामिल है। मायावती शासनकाल के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार में भी उन्हें जेल जाना पड़ा। इस सरकार में उन पर सबसे अधिक मुकदमें दर्ज हुए। विधायक विजय मिश्र दुष्कर्म, जमीन और फर्म पर कब्जा समेत अन्य कई मामलों में सपरिवार आरोपित है। उन्हें आगरा जेल में निरुद्ध किया गया है। विजय मिश्र का बेटा विष्णु मिश्र इसी आरोप में फरार चल रहा है। उसके खिलाफ ‘लुकआउट’ नोटिस जारी है। गोपीगंज थाने के कौलापुर निवासी करीबी कृष्णमोहन तिवारी ने विधायक और परिजनों के खिलाफ मकान और फर्म पर कब्जा करने का आरोप लगाया था। भदोही पुलिस ने उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि को देखते हुए चुनाव में आधे दर्जन से अधिक असलहे का लाइसेंस निरस्त कर दिया है। योगी सरकार में विजय मिश्र पर अब तक अनगिनत मुकदमे लादे जा चुके हैं।

वाराणसी की गायिका ने विजय मिश्र और उनके बेटे पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था इस मुकदमें के बाद विजय मिश्र और उनके परिवार की मुश्किल और बढ़ गई। महिला ने वाराणसी के जैतपुर थाने में दोबारा धमकी देने का भी आरोप दर्ज कराया है। विधायक विजय मिश्र भदोही की राजनीति में किसी को हावी नहीं होने दिया। जिसका नतीजा रहा कि उन्होंने अपने हजारों दुश्मन तैयार कर लिए। अचानक सब कुछ बदल गया और उनके खिलाफ सरकार का शिकंजा कसना शुरू हो गया। अपराधियों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति विजय मिश्र के खिलाफ हो गई। जेल में रहकर क्या विधायक विजय मिश्र पांचवीं बार भी चुनाव जीत पाएंगे। फिलहाल यह कहना मुश्किल होगा, लेकिन असंभव भी नहीं।

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