सौरभ शर्मा/एडिटर इन चीफ
मध्यप्रदेश में त्री-स्तरीय पंचायत चुनाव आचार संहिता लगते ही अधर में फंसा हुआ है राजनैतिक पार्टियों में खलबली मची हुई है, कोई हाई कोर्ट का रुख कर रहा है तो कोई सुप्रीम कोर्ट का, इसी घटना क्रम के बीच एक बड़ी खबर चुनाव को ले कर आई है।
अब सरकार के लिए ओबीसी आरक्षण गले की फांस बन गई है, एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को साफ कह दिया है कि चुनाव संविधान के दायरे में ही कराएं, नहीं तो चुनाव निरस्त भी हो जाएंगे. जो संविधान में आरक्षण का प्रावधान 50% है, वही रहे, हो सकता है अब शिवराज सरकार 52 फीसदी ओबीसी को खुश करने के लिए फिलहाल चुनाव टाल दे या रोक लगा दे. शिवराज सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जाएगी।
मध्यप्रदेश में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लगातार पेंच फंसता ही जा रहा है, कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं, लेकिन विधानसभा में 27% ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव के बाद अब लगने लगा है कि पंचायत चुनाव की तारीख सरकार आगे बढ़ा सकती है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा में बार-बार इस बात पर जोर दिया कि ओबीसी को आरक्षण दिए बिना चुनाव नहीं होंगे तो वहीं नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सभी पहलुओं पर विचार हो रहा है और सरकार की कोशिश है कि ओबीसी को पंचायत चुनाव में 27% आरक्षण मिले और बगैर आरक्षण के चुनाव नहीं होंगे. इसका सीधा सा मतलब ये है कि फिलहाल पंचायत चुनाव असमंजस में है और हो सकता है कि चुनाव की तारीख आगे बढ़ जाए।